“खामेनेई को इस्तीफा देना चाहिए या उन्हें सत्ता से हटाया जाए – ईरान के पूर्व शाह रेज़ा शाह पहलवी का तीखा बयान, अमेरिकी हमले के बाद भड़के”

“खामेनेई को इस्तीफा देना चाहिए या उन्हें सत्ता से हटाया जाए – ईरान के पूर्व शाह रेज़ा शाह पहलवी का तीखा बयान, अमेरिकी हमले के बाद भड़के”


22 जून 2025 को एक बार फिर से पश्चिम एशिया की राजनीति में हलचल मच गई, जब अमेरिका ने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इस हमले ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी, बल्कि ईरान के अंदर भी सत्ता और जनता के बीच के तनाव को उजागर कर दिया। इस पूरी घटना पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया ईरान के निर्वासित पूर्व क्राउन प्रिंस, रेज़ा शाह पहलवी की आई। उन्होंने एक बार फिर खुलकर इस्लामिक रिपब्लिक और उसके सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ आवाज़ उठाई है।

रेज़ा शाह पहलवी ने इस बार सीधे शब्दों में खामेनेई से इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर ईरान को शांति और तरक्की के रास्ते पर ले जाना है, तो इस्लामिक शासन को खत्म करना ही एकमात्र रास्ता है।

 

अमेरिका का हमला और रिएक्शन

22 जून की रात अमेरिका ने अपने अत्याधुनिक बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स की मदद से ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान – पर हमला किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को “पूरी तरह सफल” बताया और कहा कि सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित रूप से ईरानी एयरस्पेस से बाहर निकल गए।

 

इस हमले के बाद विश्व भर की नज़रें ईरान की प्रतिक्रिया पर थीं, और जवाब देने में देर नहीं लगी। ईरान ने इसके तुरंत बाद इजरायल के 10 शहरों पर मिसाइल हमले किए। इनमें तेल अवीव और हाइफा जैसे बड़े और अहम शहर शामिल हैं। इजरायल के सरकारी मीडिया ने बताया कि हमलों के बाद पूरे देश में हवाई हमले के सायरन बजाए गए और कई फ्लाइट्स रद्द कर दी गईं।

 

रेज़ा शाह पहलवी का तीखा हमला

इन घटनाओं के बीच, ईरान के निर्वासित प्रिंस रेज़ा शाह पहलवी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी नाराज़गी और चिंता जाहिर की। उन्होंने अमेरिकी हमले के लिए इस्लामिक रिपब्लिक की “परमाणु महत्वाकांक्षाओं” को जिम्मेदार ठहराया।

 

रेज़ा शाह ने लिखा,

“ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले, इस्लामिक रिपब्लिक की परमाणु हथियारों की विनाशकारी खोज का परिणाम हैं। इस शासन ने देश के संसाधनों और जनता की उम्मीदों को कुचल दिया है। अली खामेनेई और उनका डर का साम्राज्य अब पूरी तरह विफल हो चुका है।”

 

उन्होंने आगे लिखा कि,

“अब वक्त आ गया है कि खामेनेई अपने बंकर में बैठकर जवाबी हमला सोचने की बजाय, जनता के भले में इस्तीफा दें, ताकि देश आगे बढ़ सके।”

 

रेज़ा शाह ने अपनी बात को और सख्ती से रखते हुए कहा कि इस शासन का अंत ही देश में शांति की शुरुआत होगी। उनका मानना है कि इस्लामिक रिपब्लिक अब केवल नुकसान पहुंचा रहा है और इसका अंत ही देश के भविष्य के लिए जरूरी है।

पहले भी की थी आलोचना

रेज़ा शाह कोई पहली बार इतने कड़े शब्दों में खामेनेई पर हमला नहीं कर रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने कई बार इस्लामिक शासन की नीतियों की आलोचना की है। एक पुराने बयान में उन्होंने खामेनेई को “डरे हुए चूहे” की संज्ञा दी थी और कहा था कि वे जनता के सामने आने से डरते हैं।

रेज़ा शाह ने ईरान की जनता से भी अपील की है कि वे इस नाजुक मौके पर एकजुट रहें और बदलाव के इस समय का फायदा उठाएं। उन्होंने कहा,
“जो बदलाव शुरू हो चुका है, उसे अब रोका नहीं जा सकता। हमारा भविष्य उज्जवल है।”

रेज़ा शाह पहलवी कौन हैं?

रेज़ा शाह पहलवी ईरान के पूर्व शाह मोहम्मद रेजा पहलवी के बेटे हैं। शाह मोहम्मद रेजा पहलवी ने 1979 तक ईरान पर शासन किया था। लेकिन 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद उन्हें सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ा और वे मिस्र में जाकर शरण लिए।

रेज़ा शाह पहलवी तब से निर्वासन में हैं, लेकिन वे लगातार अपने बयानों और आंदोलनों से इस्लामिक शासन के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं। वे खुद को एक लोकतांत्रिक ईरान का समर्थक बताते हैं और कई बार यह बात कह चुके हैं कि वे ईरान में फिर से लोकतंत्र और मानवाधिकारों की बहाली चाहते हैं।

ईरान की मौजूदा स्थिति

ईरान इस समय कई मुश्किलों से जूझ रहा है – आर्थिक संकट, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध, बेरोजगारी, और अब अमेरिका और इजरायल से बढ़ता तनाव। ईरानी जनता लंबे समय से सरकार की नीतियों से नाराज़ है। बढ़ती महंगाई, नौकरी की कमी और महिलाओं व युवाओं के अधिकारों पर लगाम ने अंदर ही अंदर विद्रोह को जन्म दे दिया है।

रेज़ा शाह की बातें इस बात का संकेत हैं कि जनता अब बदलाव चाहती है। हालांकि फिलहाल इस्लामिक शासन की पकड़ मजबूत दिखाई देती है, लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय दबाव और आंतरिक विद्रोह एक साथ बढ़ते हैं, तो खामेनेई के लिए अपनी कुर्सी बचाना मुश्किल हो सकता है।

निष्कर्ष

अमेरिका द्वारा किए गए ताज़ा हमले ने पश्चिम एशिया की राजनीति को एक बार फिर भड़काया है। ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। और इसी चेतावनी का इस्तेमाल रेज़ा शाह पहलवी ने खामेनेई सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन को और तेज़ करने के लिए किया है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या खामेनेई इस दबाव के आगे झुकते हैं या फिर यह टकराव और ज्यादा हिंसक रूप लेगा। लेकिन एक बात तय है – ईरान के लोग अब बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं, और रेज़ा शाह की आवाज़ इस उम्मीद को एक दिशा देने की कोशिश कर रही है।

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